“हे कपट राखबाळो धरमसास्तर्यो अर फरिसीयो! थार प धिक्कार ह। थे लोगा का ईस्बर नगरी राज म जाबाळा गेलानै रोको हो। थे नइ तो खुद बि गेलै जाओ अर नइ लोगानै बि गेलै जाबा द्यो।
इकै पाछै बो बानै सीख देतो होयो बाऊँ बोल्यो, “पबितर सास्तर म मंडर्यो ह, ‘मेरो मनदर धरती का सगळा कूणबा का मिनखा ताँई अरदास को घर होसी।’ पण थे इ घरनै डाकूआ की खोळ बणा दि।”