21 बे बिऊँ बुज्या, “जणा तू कूण ह? के तू एलिआ ह?” बो बोल्यो, “म एलिआ कोनी।” जणा बे बुज्या, “के तू परमेसर की खेबाळो ह?” बो बोल्यो, “नइ, म बो बी कोनी।”
ज थारै मऊँ कोई इ बातनै मानबो चावै क आबाळो एलिआ ओई ह, जणा बो इनै मानले।
बे बिऊँ बुज्या, “जद तू नइ तो मसी अर नइ एलिआ अर नइ परमेसर की खेबाळो, जणा पाछै तू पाणी को बतिस्मो क्याले देवै ह?”
बे बोल्या, “कई तो थानै बतिस्मो देबाळो यहून्ना, कई एलिआ, कई यरमिआ अर कई परमेसर की खेबाळा मऊँ एक खेवै ह।”
ईसुनै सुणर भीड़ मऊँ क्युंक मिनख बोल्या, “ओ सचमई बोई परमेसर की खेबाळो ह।”
बो एलिआ जंय्यां की सक्ति अर आत्मा म परबु क आगै-आगै चालसी। बो बापा को मन बाका टाबरा कानि मोड़ देसी अर खयो नइ करबाळानै धारमिक्ता की बुदी कानि लेज्यासी अर मिनखानै परबु ताँई त्यार करसी।”
अर लोगई जुबाब देर्या हा, “ओ गलिल का नासरत को परमेसर की खेबाळो ईसु ह।”
बे बिऊँ बोल्या, “जणा पाछै तू कूण ह म्हानै बता? जिऊँ म्हें म्हानै भेजबाळानै जुबाब देवां। तू खुद तेरै बारां म काँई खेवै ह?”
मिनख ईसु का इ चमत्कारनै देखर बोल्या, “सचमई ओ बोई परमेसर की खेबाळो ह, जखो जगत म आबाळो हो।”