1 इब थे सुणो, जखा पिसाळा हो, थे रोओ अर जोर-जोरऊँ बार घालो क्युं क थारो कल्डो टेम आबाळो ह।
क्युं क सूरज का तावड़ाऊँ घास बळज्यावै अर फूल झड़ज्यावै, जिऊँ बा सोवणी कोनी लागै। अंय्यांई अमीर मिनख बी आपकी भाग-दोड़ म खाली हातई मरज्यावै।
इब थे सुणो, जखा अंय्यां खेओ ह क, “आपा आज नहिस काल इ नगरी म नहिस बि नगरी म जार बरस दो बरस काम-धंधो कर पिसाळा बण सकां हां।”
पण जणा बी थे बा गरीबा को अपमान कर्यो हो। के पिसाळा मिनख थार प जोर कोनी जिमावै अर थानै कचेरी म घिसर कोनी लेज्यावै?
सोक मनाओ, रोओ अर दुखी होवो। थारा हसबानै सोक म अर थारी खुसीनै उदासी म बदलल्यो।