14 पण थे तो अत्तोबी कोनी जाणो क काल थारै जीवन क सागै काँई होसी? काँई ह थारो जीवन? थे तो ओस की जंय्यां हो जखी क्युंक देर रेह्वै ह अर पाछै गायब होज्यावै ह।
जंय्यां क सास्तर म मांडेड़ो ह, “सगळा मिनख घास की जंय्यां ह, अर बाको सगळो तेज जंगल का फूला की जंय्यां ह। क्युं क घास बळ जावै ह, अर फूल झड़ जावै ह।
आ दुनिया अर इकी बुरी इंछ्या नास होज्यासी, पण जखो बी मिनख परमेसर की इंछ्या प चालै ह बिको कदैई नास कोनी होसी।
अर अमीर बिस्वासी गुमान करै क्युं क थानै निचो कर्यो गयो ह। अमीर मिनखानै तो घास की जंय्यां एक दिन बळर नास होणो ह।
बा घड़ी सांकड़ैई ह जद सक्यु नास होज्यासी। इ ताँई स्याणा बणो अर खुदनै बस म राखो जिऊँ थानै अरदास करबा म मदद मिलै।