12 मेरा लाडला बिस्वास्यो, अंजीर का दरख्त क जेतून अर अँगूर की बेल क अंजीर लाग सकै ह के? कदैई कोनी लागै अर नइ खारो पाणी निकळबाळा कूंडऊँ मिठो पाणी निकळ सकै ह।
“थे जाणो हो ज थानै फळ खाणो ह तो थानै फळ कोई दरख्त लगाणो पड़सी, क्युं क हर दरख्त क खाबाळा फळ कोनी लागै। अर दरख्त आपका फळाऊँ पिछाण्यो जावै ह।
गेला म एक अंजीर को दरख्त देखर ईसु बिकन गयो, पण बि दरख्त म पत्तानै छोडर क्युंई कोनी लाध्यो। जणा बो बि दरख्तऊँ बोल्यो, “तेरै कदैई फळ कोनी लागै!” अर बो दरख्त जदकी जदई सूकगो।
थेई बताओ एकई कूंडऊँ मिठो अर खारो पाणी निकळ सकै ह के?