अर परमेसर बिस्वासी मंडळी म न्यारा-न्यारा मिनखानै न्यारा-न्यारा पद दिओ ह, पेलानै भेजेड़ा चेला को, दुसरानै परमेसर की बात बताबा को, तीसरानै गरूजी को अर कोईनै चमत्कार का काम करबाको, अर कोईनै निरोगा करबाको, अर कोईनै मदद करबाको, अर कोईनै बेबस्ता करबाको तो कोईनै न्यारी-न्यारी बोली बोलबा को काम सोप्यो ह।
“हे कपट राखबाळो धरमसास्तर्यो अर फरिसीयो! थार प धिक्कार ह। थे लोगा का ईस्बर नगरी राज म जाबाळा गेलानै रोको हो। थे नइ तो खुद बि गेलै जाओ अर नइ लोगानै बि गेलै जाबा द्यो।
अर इ गुवाईनै गैर-यहूदि मिनखानै सुणाबा ताँई म एक सचा बिस्वास की सीख देबाळो अर ईसु को भेजेड़ो चेलो बणायो गयो हूँ। जिऊँ म बिस्वास का समचार अर सच को हेलो पाड़ सकूँ। म झूठो कोनी हूँ म सच बोलर्यो हूँ।
अंताकीया की बिस्वासी मंडळी म परमेसर की खेबाळा अर उपदेस देबाळा कई हा, जंय्यां की बरनाबास, समोन जिनै काळ्यो बी बोलता हा अर कुरेन को लूकियुस अर देस की चोथी पाँती को राजपाल हेरोद को गोद आयड़ो भाई मनाएम, अर साऊल।