6 पण जद थे माँगो जणा बिना भेम कर्या बिस्वासऊँ माँगो, क्युं क जखो भेम करै ह बो समदर की झाल की जंय्यां भेवै अर उछाळा मारै।
अर बिस्वास क बिना परमेसरनै राजी करबो अणहोतो ह, क्युं क परमेसर क कनै आबाळानै बिस्वास करबो चाए क बो ह अर परमेसरनै लगनऊँ ढुंढबाळानै बो फळ देवै ह।
जिऊँ आपा टाबरपुणो नइ करां। जिऊँ आपा मिनखा का ठगपुणा अर चतराईऊँ अर बाकी भंगराबाळी सीख म आर इनै-बिनै भटकता नइ फिरां।
अर आपा जखी आस मुंडाऊँ बोलर मान्या हां बिपै मजबूतीऊँ डट्या रेह्वां, क्युं क जखो आपणाऊँ बादो कर्यो ह बो बिस्वास जोगो ह।
भात-भात की अणजाणी सीख की भंगर्या म मना आज्यो, क्युं क थारा हिया ताँई ओ चोखो ह क बे खाबा-पीबा का नियमा क बजाय दया की बजेऊँ मजबूत बणै। अर जखा खाबा-पीबा का नियमानै मान्या बाऊँ बाको कदैई भलो कोनी होयो।
जणा इब म चाऊँ हूँ क, हर कठै मोट्यार बिना झाळ भर्या अर बिना मनमुटाव कर्या, खुदका पबितर हातानै जो'ड़र अरदास करै।
अ धोकेबाज मिनख सूकेड़ा कुआ की जंय्यां अर आँधी म उडबाळा बादळ की जंय्यां हीं। परमेसर आ ताँई नरक म अँधेरी झघा त्यार कर राखी ह।
पतरस बाकी इ बातानै सुणर बोल्यो, “परबु ज थे हो तो मनै बी इ पाणी प चालर थारै कनै आबा ताँई हुकम द्यो।”
जणा इब तू खड़्यो होर तळै जा अर बिना झिजकै बाकै सागै होले क्युं क बानै मई भेज्यो हूँ।”
अंय्यां को मिनख आ आस नइ करै क, बिनै परबुऊँ क्युं मिलसी।
बिस्वासऊँ करेड़ी अरदासऊँ रोगलो, निरोगो होज्यासी अर परबु बिनै खड़्यो कर देसी। अर ज बो पाप कर्यो हो जणा परबु बिका पाप धो देसी।