4 अर ज ओ इ धरती प होतो जणा याजक कोनी होतो, क्युं क नेम-कायदा गेल भेंट चढाबाळा तो पेल्याऊँई हां।
हरेक म्हायाजक मिनखा मऊँई टाळ्यो जावै ह। अर मिनखा कानिऊँ परमेसरऊँ जुड़ेड़ी बातानै करबा ताँई बिनै म्हायाजक बणायो जावै ह, जंय्यां क पाप का छुटकारा ताँई भेंट अर बलि चढाबो।
हाबिल क बिस्वास करबा की बजेऊँई बो कैनऊँ चोखो बलिदान परमेसर क चढायो। बिस्वास करबा की बजेऊँई बिकै धरमी होबा की बडाई करी गई अर परमेसर बिका चढावानै मान्यो अर बिकै मरबा क पाछै बी आपा इब ताँई बिऊँ सीखां हां।
अर बिनै इकी जुर्त कोनी ही क बो म्हायाजका की जंय्यां पेल्या खुद ताँई पाप बलि चढावै बिकै पाछैई मिनखा ताँई पाप बलि चढावै। पण बो बाकै पाप ताँई खुदनै सदा-सदा ताँई बलि कर दिओ।
क्युं क जिनै बी म्हायाजक बणायो जावै ह बो भेंट अर बलि चढाबा ताँई बणायो जावै ह। इ ताँई जरूरी हो क इ म्हायाजक क कनै बी चढावा ताँई क्युंनै क्यु होणो चाए हो।
अर ओ पबितर तम्मू आज का जुग ताँई मिसाल ह, जखो आ दिखावै ह क जखी भेंट अर बलिदान चढायो जार्यो ह बो भगती करबाळा मिनखा की अन्तर-आत्मानै समुळी सुद कोनी कर सकै।
जदकी हरेक याजक खड़्या होर रोजकी धारमिक सेवा पूरी करै ह अर एकई जंय्यां का बलिदान बार-बार चढावै ह जखा कदैई पाप कोनी धो सकै।