11 आकै बारां म खेबा ताँई म्हारै कनै बोळी बाता हीं, पण थानै समजाबो दोरो ह क्युं क थे सुणबा म कचा हो।
क्युं क आ मिनखा को मन काठो होगो आनै कानाऊँ सुणबो बंद होगो आकी आँख्या क पटी बंदगी नहिस बाकी आँख्या देखती, अर बाका कान सुणता अर बाका मन समजता जिऊँ बे पापऊँ मन फेर'र मेरै कनै आता जिऊँ म बानै छुटकारो देतो।
पोलुस आपकी सगळी चिठी म आ बाता किई चरचा करी ह, अर जामै कत्ती बाता तो अंय्यां की ह जानै समजबो ओखो ह। अज्ञानी अर जखा मजबूत कोनी बे मिनख बाको गळत मतबल लगार खुदनै नास करीं हीं। बे दुसरा सास्तर की सीखनै मानी हीं।
क्युं क आ मिनखा को हियो मोटो अर कान भार्या होगा, अर बे आपकी आँख्या मीच राखी ह। अंय्यां नइ होतो तो बे आपकी आँख्याऊँ देखता अर कानाऊँ सुणता अर मनऊँ समजता अर मन बदलर मेर कनै आता, अर म बानै निरोगो करतो।’
“बताबा ताँई मेरै कनै बोळी बाता हीं पण थे बानै इबी कोनी सेह सको।
आ बात ईसु बस फलिपूसनै बिचासबा ताँई बुज्यो हो। क्युं क असल म ईसु जाणतो हो क काँई करनो ह।
जणा ईसु बानै बोल्यो, “थे कंय्यां का बादु अर परमेसर की खेबाळा की बाता प बिस्वास करबा म ढिला हो।
ईसु बाऊँ बोल्यो, “थारै हालबी पलै कोनी पड़ी के?”
अर बिनै परमेसर, मिलिकीसिदक की रीत गेल म्हायाजक बणायो।
टेम देखता तो थानै इब ताँई सीखाबाळा होज्याणा चाए हा। पण थानै अंय्यां का मिनख की जुर्त पड़ै ह जखो थानै सरूआतऊँ ओज्यु परमेसर का बचना का सच की सीख देवै। थानै रोटी नइ पण इब ताँई बी दुद किई जुर्त पड़री ह।