ओ परम-पिताजी, म चाऊँ हूँ क बा सगळा म एको होवै, ठिक बंय्यांई जंय्यां म थारै म ओर थे मेर म हो। बे बी आपणा म एक होवीं जिऊँ क इ जगत का मिनख बिस्वास करै क थे मनै भेज्या हो।
ईस्बर नगरी का बुलावा म पाँतीवाळ ओ मेरा पबितर बिस्वासी भाईड़ो, थे थारो ध्यान बि परमेसर का भेजेड़ा ईसु प जखो म्हायाजक ह अर जिनै म्हें माना हां बिपै लगाओ।