1 आपा जखी बी बाता सुणी ह बापै आपानै हियो लगाणो चाए, जिऊँ आपा नइ भटकां।
अर उपळी माटी प पड़्या बीज बे हीं जखा बचन सुणर बिनै चोखा अर खरा हियाऊँ मानै अर थ्यावस राखर समाळर राखीं हीं जद ताँई क बाका करम बि बचन गेल नइ होज्यावै।
ओ लाडलो, आ मेरी दुसरी चिठी ह जखी म थानै मांडी ह, अर म मेरी आ दोन्यु चिठ्या म थानै याद दिवायो हूँ क थानै पबितर हियो राखबो चाए।
इ ताँई म पूरी कोसिस करूं हूँ, क मेरै मरबा क पाछै आ बातानै थे याद राखो।
थे बि हिमत बंधाबाळा बचननै भूल बेठ्या हो, जखो थानै बेटो जाणर दिओ गयो हो: “ओ बेटा, परबु की सीखनै हळकी बात मना जाण, अर बिकी दकालऊँ कदैई निरास मना होजे।
थारै आँख्या होतासोता बी थानै कोनी सुजै? अर थारै कान होतासोता बी थानै कोनी सुणै? थानै क्युंई याद कोनी?
थारै हाल बी क्युंई पलै कोनी पड़ी के? थानै याद कोनी के, जद म पाच झार मिनखानै पाच रोट्याऊँ धपायो हो जणा बचेड़ी रोट्या का टुकड़ा का थे कत्ता चोल्या भर'र उठाया हा?
“थे इ बात प कान लगाओ क मिनख को बेटो मिनखा क हाता म सूप्यो जासी।”
जणा बे भाठा उठार बिनै मारबा ताँई त्यार होया, पण ईसु छानैसीक मनदरऊँ चलेगो।