5 थारो सुभाव धन को लालची नइ होवै, अर जोक्युबी थारै कनै ह, बिमई सबर राखो, क्युं क परमेसर बोल्यो ह, “म तनै कदैई कोनी छोडूँ, अर कदैई कोनी तजूं।”
“म थारूँ खेऊँ हूँ, थे थारा जीव की चिंत्या मना करज्यो की काँई खास्यो अर काँई पीस्यो? अर नइ काया की चिंत्या करज्यो की इनै किऊँ ढकस्युं? क्युं क गाबाऊँ काया अर रोट्याऊँ जीव बडो ह।
काल की चिंत्या मना करो, क्युं क काल ताँई काल किई चिंत्या घणी ह। अर हरेक दिन की चिंत्या बि दिन ताँई घणिई होवै ह।
इ ताँई थारै मांयनै जोक्यु दुनियादारी की इछ्या गेल काम करै ह बानै मार द्यो, जंय्यां मुंडा काळा होबाळा नाजायज कुकरम बासना भर्या काम, बुरी इंछ्या अर लोभ-लालच जखो परमेसर की नजर्या म बुरो ह अठै ताँई की मूरती पूजा की जंय्यां ह।
सिपाईड़ा बी बिऊँ बुज्यो, “म्हें काँई करां?” बिको जुबाब ओ हो क, “थे पिसा ताँई मिनखानै मना डराज्यो बस थारी तनखा म राजी रेहज्यो अर कोई प झूठो दोस मना लगाज्यो।”
बे सदाई बि कुकरमी लूगाई की तक म रेह्वै जिकै सागै अ कुकरम कर सकै। अर बे पाप कर्या बिना कोनी सकै। अ भोळा-भाळा मिनखानै भूळा-फुसळार आपकै सागै कर लेवीं हीं आको हियो लालची ह अ सराप की ओलाद हीं।
बो दारूड़ो नइ हो, मारपीट करबाळो नइ हो, पण दयाऊँ भरेड़ो अर स्यांतीऊँ रेह्बाळो होवै, बिको मो रिपीआ म नइ होवै।
थानै इ बातनै सूल जाणणोई ह क कुकरमी, सूगला काम करबाळा, अर लोभी मिनखा को जखा मूरतीपुजा करबाळा की जंय्यां हीं, मसी अर परमेसर का राज म आकी कोई पाँती कोनी।
अर बे लालची होबा की बजेऊँ थानै दिखावटी बाता बोलर थारूँ धन कमासी। अर बाकी सजा तो पेल्याऊँई परमेसर ते कर राखी ह। अर बाको नास बानै उडिकर्यो ह।
थे परमेसर का मिनख हो इ ताँई थारै म कुकरमा की, लुचापुणा की अर लोभ-लालच की चरचा बी नइ होणी चाए;
पण मेरो अंय्यां मांडबा को ओ मतबल ह क थे अंय्यां का मिनखाऊँ नातो मना राखज्यो जखा देख दिखाई का बिस्वासी भाई बणी हीं पण बे कुकरमी, लालची, मूरतीपुजबाळा, गाळीगळोच करबाळा, पियाचरी करबाळा अर ठग हीं। अंय्यां का मिनखा क सागै उठा-बेठी मना राखज्यो।
अर जखा बीज झाड़्या म पड़्या बिको मतबल ओ ह की बे मिनख जखा बचननै सुणी पण जद बे बापै चाली जणा चिंत्या, धन-दोलत अर जिंदगी का मजा बानै दबा देवै ह जिऊँ बे सूल कोनी फळै।
व्यबिचार, लोभ, कमिणोपुणो, दोगलोपुणो, ठगणो, बेहूदोपुणो, बळोकड़ोपूणो, कोईकी बुराई करबो, गुमान अर गोबुपुणो (मोथोपुणो) बारनै निकळ ह।
बापै स्यामत पड़सी! अ मिनख तो कैन की जंय्यांई बुराई का गेला प चालीं हीं, अर अ धन का लालच म बिलाम की जंय्यांई पाप करीं हीं। अ मिनख परमेसर क सामै होगा हीं जंय्यां कोरह होयो हो। जणा आ सगळी बाता बेई आको बी नास कर्यो जासी।
चोर लूटेरा, लालची, दारूखोर्या, भिड़ाबाळा, अर ठग परमेसर का राज का वारिस कोनी होसी।
बे हरतर्या का अधरम, बुराई, लालच, बुरी लत, बळोकड़ापूणा, हत्या, राड़, धोको, बुरी मनस्या अर चुगली-चाळाऊँ भर्या पड़्या हीं।
“इ धरती प थे धन भेळो मना करो। क्युं क अठै इकै दिवळ अर जर लागज्यावै ह अर चोर चुरार लेज्यावै ह।
सताया तो जावां हां, पण तज्या कोनी जावां। म्हें पटक्या जावां हां पण खतम कोनी होवां।