अर ज म परमेसर की बाता बताऊँ अर म सगळा भेद खोल सकूँ अर सगळो ज्ञान बी जाणल्युं, अर मनै अठै ताँई बिस्वास बी होवै क म डूँगरानै हटा सकूँ हूँ, पण परेम कोनी करूं, जणा म क्युंई कोनी।
बो फरिसी नाकैई खड़्यो होर अंय्यां खेर अरदास करबा लाग्यो, ‘परमेसर थारी जे हो, क म दुसरा की जंय्यां लोभी, दुसरा को बुरो करबाळो, कुकरमी कोनी अर नइ म इ चुंगी लेबाळा की जंय्यां हूँ।
म बावळा की ढाळ बोल्यो, पण अंय्यां करबा ताँई थेई मनै उकसाया। जदकी म तो क्युंबी कोनी हूँ, पण थानै तो मेरी बडाई करबो चाए, क्युं क म थारा बा भेजेड़ा चेला मऊँ, एक बात म बी कम कोनी हूँ।