ओ मेरा लाडला बिस्वास्यो, ज म सुन्नत को परचार करतो जणा म क्यु सतायो जातो? ज म सुन्नत करबा की खेतो जणा मसी क सुळी क बारां म जखो समचार म सुणायो हो बि ताँई मनै कोई परेसानी नइ होणी चाए ही।
म्हारा काना म आ बात आई ह क म्हारै मऊँ क्युंक मिनख बठै थारै कनै आर थानै आपकी बाताऊँ घबरा दिआ अर भंगरा दिन्या। पण अंय्यां करबा ताँई म्हें तो बानै ओडायो कोनी जणाई तो
अर म उमर म बी बडो हूँ अर अठै ताँई क म मसी ईसु का चोखा समचारनै सुणाबा की बजेऊँ जेळ म बंदि हूँ। पण आ सगळी बाता क वावजुद बी म तेरूँ परेमऊँ अरदास करूं हूँ,