18 अर ओ बी चोखो ह क भली बाता म मो राखबो चाए, आ चोखी बात ह, पण इको ओ मतबल कोनी क जद म थारै सागै हूँ जणाई राखो।
मेरा लाडलो, इ ताँई जंय्यां थे सदाऊँ मेरा हुकमानै मान्या हो जद म थारै सागै हो, ओ ओर बी जरूरी ह क, इब म थारै कनै कोनी हूँ जणा बी थे मेरा हुकमानै मानो। अर परबु का डर म धुजता होया थारा छुटकारानै सूल पूरो करो;
म जिऊँ बी परेम करूं हूँ बानै दकालूं हूँ अर सूदारूँ हूँ। जणा मजबूत होज्या अर तौबा कर।
बो आपणा ताँई खुदकी ज्यान दे दिनी। जिऊँ बो आपानै सगळा पापऊँ बचावै अर आपानै सुद कर खुद ताँई अंय्यां का मिनख बणावै जखा भला काम करबा ताँई उतावळा रेह्वै।
जणा मोटी बात आ ह क थारा जीवन की उठ बेठ खाली मसी का चोखा समचार जोगी होणी चाए; जिऊँ म थारै बारां म आई सुणू क थे एकई मकसद ताँई खड़्या हो अर एकई मनस्या राख'र चोखा समचारऊँ मिलेड़ा बिस्वास ताँई कड़ी मेनत करतार्यो हो, चाए म थानै आर देखूँ चाए नइ देखूँ,
थानै याद होगो क, जद म पेलीपोत मेरी बिमारी की दसा म थानैई चोखो समचार सुणायो।
इ ताँई मेरा लाडला बिस्वास्यो, बिस्वास म मजबूत बण्या रेह्ओ अर जमाई संका मना करो। अर परबु का काम म खुदनै लगाया राखो। क्युं क थे जाणो हो क परबु ताँई करेड़ो काम बेकार कोनी जावै।
जणा बिका चेलानै पबितर सास्तर म मंडेड़ी बात याद आई, “तेरै घर को मो मनै खाज्यासी।”
मेरी तो आ इंछ्या होरी क इब थारै कनै आर ओरई ढंगऊँ बोलुँ, क्युं क थारै बारां म, म कोनी समज पार्यो क काँई कर्यो जावै!
बिधी-बिधान प चलाबाळा मिनख थार म मो तो राखै ह पण बाकी नीत सई कोनी। बे थानै मेरूँ न्यारो करबो चावीं हीं, जिऊँ थे बी बामै मो घालल्यो।