लाडलो म तो घणोई चातो हो क, थानै बि छुटकारा क बारां म मांडूँ, जिका आपा बराबर का पाँतीवाळ हां। अर मनै अंय्यां बी लाग्यो क, म थानै अ बाता मांडर बढाओ द्युँ जिऊँ थे बिस्वास म बढता रेह्ओ, ओ बो बिस्वास ह जखो परमेसर का मिनखानै दिओ गयो ह।
म्हें इ ताँई बी थारै ताँई परमेसर को धनेवाद करता कोनी रूकां, क जद म्हें थानै परमेसर को चोखो समचार सुणायो हो जणा थे इनै मिनखा कानि को कोनी जाण्या पण परमेसर को जा'णर इनै मान्या अर सच बी ओई ह, इ बजेऊँ परमेसर थारै म जखा बिस्वास करो हो काम करै ह।