18 जा रितीयानै म छोड दिओ, बानै म ओज्यु मानू जणा म खुदई सजा को भागी हूँ।
ज थारा खाबाऊँ कोई बिस्वासी भाई क ठेस लागै ह जणा थे सचमई प्यार-परेम को भेवार कोनी करो। जणा थारा खाबाऊँ बिको नास नइ होवै, क्युं क मसी बि ताँई मर्यो ह।
ओ मेरा लाडला बिस्वास्यो, ज म सुन्नत को परचार करतो जणा म क्यु सतायो जातो? ज म सुन्नत करबा की खेतो जणा मसी क सुळी क बारां म जखो समचार म सुणायो हो बि ताँई मनै कोई परेसानी नइ होणी चाए ही।
म परमेसर की दयानै बेकार कोनी जाबा द्युँ, क्युं क ज नेम-कायदा की बजेऊँ धारमिक्ता मिलती, जणा मसी को मरबो बेकारई ह।
क्युं क ज थे नेम-कायदानै मानो जणा तो सुन्नत को मतबल ह, पण ज थे नेम-कायदा का नियमानै तोड़ो जणा सुन्नत करायड़ा बी नइ करायड़ासा हो।
पण ज आपणा बुरा करम परमेसर की धारमिक्तानै ओरबी साप तरिकाऊँ परगट करै अर बा ताँई बो आपानै सजा देवै जणा के आपा आ बोल सकां हां क परमेसर आपानै सजा देर आपणै सागै अन्याय करर्यो ह? अंय्यां म एक मिनख होबा क नातै बोलर्यो हूँ।