थारै बारां म अंय्यां सोचबो मेर ताँई सई ह, क्युं क थे मेरा काळज्या म बसर्या हो। बि सोभाग म थे सगळा पाँतीवाळ हो जखो परमेसर मनै दिओ, चाएस म जद अब जेळ म हूँ अर नहिस जद म अजादिऊँ चोखा समचार क सच को सबूत देर बिनै पुक्ता करबा म लागर्यो हो।
पोलुस बोल्यो, “के थोड़ो टेम, के बोळो, पण म तो परमेसरऊँ आई अरदास करूं हूँ क थे अर जत्ता बी मनै आज अठै सुणी हीं बे जि साँकळाऊँ म बंदर्यो हूँ आनै छोडर बाकी बाता म मेरै जंय्यां का होज्यावै।”
मेरी दिली इंछ्या अर आस ह क, म कदैई मेरा काम म सरमिंदा नइ होऊँ, पण हर टेम अर खासकर इब म हिमतऊँ भरज्याऊँ जिऊँ चाएस म जीऊँ अर मरूँ बस मेरी काया क जरिए मसी की मेमा होवै।
लाडलो म तो घणोई चातो हो क, थानै बि छुटकारा क बारां म मांडूँ, जिका आपा बराबर का पाँतीवाळ हां। अर मनै अंय्यां बी लाग्यो क, म थानै अ बाता मांडर बढाओ द्युँ जिऊँ थे बिस्वास म बढता रेह्ओ, ओ बो बिस्वास ह जखो परमेसर का मिनखानै दिओ गयो ह।
अर म उमर म बी बडो हूँ अर अठै ताँई क म मसी ईसु का चोखा समचारनै सुणाबा की बजेऊँ जेळ म बंदि हूँ। पण आ सगळी बाता क वावजुद बी म तेरूँ परेमऊँ अरदास करूं हूँ,