17 छुटकारा को टोप अर पबितर आत्माऊँ देयड़ी तलवार जखी परमेसर को बचन ह लेल्यो।
क्युं क परमेसर को बचन जिंदो अर काम करबाळो ह। बो दोधारी तलवारऊँ बी बेत्ती पेनो ह। परमेसर को बचन आत्मा, पिराण, जोड़ अर गुली म जार बानै न्यारो-न्यारो कर सकै ह। अर ओ हिया का बिचारानै अर मनस्यानै बिचासै ह।
पाप्यानै मारबा ताँई बिकै मुंडाऊँ एक पेनी तलवार बारनै निकळरी ही। “बो लौ का लठ का जोर प बापै राज करसी।” सऊँ सक्तिसाली परमेसर, जखो बाका पाप की बजेऊँ बुर्यां झाळ्या भर्यो ह बि ताँई बो बानै अंय्यां पिससी जंय्यां अँगूरानै रसकूंड म पिस्योज्यावै ह।
पण आपा जखा दिन का च्यानणा म चालां हां बानै चाए क बे खुदनै बस म राख'र बिस्वास अर प्यार-परेम की झिलम पेरीं अर छुटकारो पाबा की आसनै टोपला की जंय्यां पेरीं।
इ ताँई तौबा करो, नहिस म आर बाकै सागै मुंडा की तलवारऊँ लड़स्युं।
बे उन्या का लोयऊँ अर खुदकी गुवाईऊँ, बिपै जीत हासिल करी। बे आपका पिराणानै बी प्यारा कोनी जाण्या अर मोतनै बी गळै लगा लिआ।
अर बो आपका दाया हात म सात तारा ले राख्या हा। बिका मुंडाऊँ दोधारी तलवार बारनै निकळरी ही। अर बिकी सकल दोपारी का भळकता सूरज की जंय्यां ही।
ईसु बिनै जुबाब दिओ, पबितर सास्तर म मांडेड़ो ह क, “मिनख रोटीऊँई कोनी जीवै पण बो हरेक बि बचनऊँ जखा परमेसर आपका मुंडाऊँ बोलै ह जीवै ह।”
ईसु बिऊँ बोल्यो, “पबितर सास्तर म ओबी मांडेड़ो ह क: “‘तू तेरा परबु परमेसरनै मना बिचासजे।’ ”
जिऊँ बिस्वासी मंडळीनै मसी परमेसर का बचना अर पाणी का बतिस्माऊँ धोर पबितर अर उजळी बणावै,
अर परमेसर का बचना की भलाई अर आबाळा जुग की उपरी सक्तियानै जाणग्यो ह।