16 अर आ सगळा क सागै बिस्वास की ढाल लेर डट्या रेह्वो जिऊँ सेतान की बळती बाणानै बुत्ता सको।
अर इको ओ मतबल कोनी क म्हें थारा मालिक हां जखा थानै खेवां क थारो बिस्वास कंय्यां को होवै। पण म्हें तो थारी खुसी ताँई थारै सागै काम करां हां, क्युं क थे बिस्वास म मजबूत हो।
पबितर आत्मा की अणसुणी मना करो।
पण थारी बात ‘हाँ’ की ‘हाँ’ अर ‘ना’ की ‘ना’ हो। क्युं क जखो मिनख इकै अलावा क्युं बोलै ह जणा बो सेतान कानिऊँ ह।
पण आपा जखा दिन का च्यानणा म चालां हां बानै चाए क बे खुदनै बस म राख'र बिस्वास अर प्यार-परेम की झिलम पेरीं अर छुटकारो पाबा की आसनै टोपला की जंय्यां पेरीं।