14-15 इ ताँई सचऊँ कड़तु कसर, धरम की झिलम पेर, पगा म मेळमिलाप का चोखा समचार की त्यारी का बूट घालर त्यार होज्याओ,
पण आपा जखा दिन का च्यानणा म चालां हां बानै चाए क बे खुदनै बस म राख'र बिस्वास अर प्यार-परेम की झिलम पेरीं अर छुटकारो पाबा की आसनै टोपला की जंय्यां पेरीं।
“कड़त्यु बांदल्यो अर दिआ जळार राखो,
इ ताँई थारी बुदीनै काम म ल्यो, खुदनै बस म राखो अर बि दया की आस राखो जखी थानै ईसु मसी क परगट होबा की टेम मिलसी।
अर परमेसर की सक्ति की बजेऊँ म्हें परमेसर का दास हां। हमलो करबा अर बचाव ताँई म्हारी धारमिक्ता म्हारो राछ ह।
मनै बि दरसाव म बे घोड़ा अर बापै जखा सुवार हा बे दिखबा म आया, बाकी झिलम आग की जंय्यां लाल, तिजाब की जंय्यां पिळी अर गाडी निली ही। अर बाका घोड़ा का सीर नार की जंय्यां हा। अर बाका मुंडाऊँ आग, धुँआ अर तिजाब निकळरी ही।
बे झिलम पेर राखी ही जखी लौ की झिलम सी लागरी ही, अर बाका पांखड़ाऊँ आबाळी उवाज अंय्यां लागरी जंय्यां लड़ाई म भागबाळा घोड़ा अर रथाऊँ आवै।
रात ढळबाळी ह, अर दिन उगबाळो ह। अँधेरा का काम करबो छोडो अर उजाळा का हतियार उठाल्यो।
इ ताँई परमेसर का सगळा हतियार बांदल्यो जिऊँ जद बुरा दिन आसी जणा दुस्मन का वारा को सामो कर सको, अर आखीर ताँई लड़्या पाछै बी मैदान म डट्या रेह सको।