19 भजन-किरतन अर आत्मिक गीत का सब्दाऊँ एक दुसराऊँ बतळाता रिह्यो। अर थारा सगळा हियाऊँ परबु का भजन-किरतन करता रिह्या करो।
सगळी बुदी क सागै एक दुसरानै सीखाओ अर चेताओ। अर थारा हियाऊँ परमेसर ताँई सगळा भजन अर आत्मिक गुणगान गाता रह्यो अर धनेवाद देतार्यो। अंय्यां कर मसी का बचनानै थारा हिया म पूरो-पूरो बसबा द्यो।
मेरा लाडला बिस्वास्यो, परमेसर को नाम लेबा ताँई जद बी एक सागै भेळा होवो जणा एक मिनख तो परमेसर को गुणगान गावै दुसरो सीख देवै, एक परमेसरऊँ आएड़ा दरसाव बतावै जदकी दुसरो न्यारी-न्यारी बोली म बोलै अर एक इको मतबल बतावै। अ सगळी बाता बिस्वासी मंडळीनै पक्को करबा ताँई होणी चाए।
आदी रातनै पोलुस अर सीलास अरदास अर परमेसर का भजन गाबा लागर्या हा अर बानै सगळा केदि सुणर्या हा।
अर ज थार मऊँ कोई दुख मुसीबत म होवै जणा बिनै अरदास करबो चाए अर ज कोई राजी रेह्वै जणा बिनै परमेसर की जे-जैकार अर भजन गाणा चाए।
इकै पाछै बे एक गीत गार जेतून का डूँगर प चलेग्या।
“अ मिनख होठाऊँ तो मेरो मान करै ह; पण आको हियो मेरूँ बोळो दूर ह।
जणा काँई करबो चाए? म आत्माऊँ तो अरदास करस्युंई पण बिकै सागै बुदीऊँ बी अरदास करस्युं। आत्माऊँ तो भजन गास्युं बिकै सागै बुदीऊँ बी गास्युं।
बे एक नयो गीत गार्या हा, “तूई, इ कागदनै अर इपै लगाईड़ी म्होरा की चेपीनै, खोलबा जोगो ह, क्युं क तू बलि होयो, थारा लोयऊँ, सगळा कूणबा का मिनखानै, सगळी बोली बोलबाळानै, देस-देस का मिनखानै परमेसर ताँई मोल लिआ हो।