12 (क्युं क बाका ओलैछानै करेड़ा कामा क बारां म बात करबो बी सरम की बात ह।)
थे परमेसर का मिनख हो इ ताँई थारै म कुकरमा की, लुचापुणा की अर लोभ-लालच की चरचा बी नइ होणी चाए;
अ बाता चोखा समचार गेल जिको म परचार करूं हूँ बि दिन होसी जि दिन परमेसर मसी ईसु क जरिए मिनखा की लुखेड़ी बाता को न्याय करसी।
इकै पाछै म छोटाऊँ लेर बडा ताँई का सगळा मरेड़ा मिनखानै देख्यो। बे बि सिंघासन क सामै खड़्या हा , जणा क्युंक पोथ्या खोली गई। आकै पाछै एक ओर पोथी खोली गई, जखी जीवन की पोथी ह। अर बाका करमा गेल जखा इ पोथी म मांड्या गया हा, मरेड़ा को न्याय कर्यो गयो।
थे बिस्वास म आबाऊँ पेली परमेसरनै नइ ध्यारबाळा मिनखा की जंय्यां खूब जीवन जीआ हो। थे कुकरमी हा, अर थे थारी बुरी इंछ्या गेल चालता हा। थे दारू म धुत्त, मेफलबाज्या अर उदफेली म लाग्या रेह्ता हा। अठै ताँई क थे सूगली मूरतानै पूजता हा।
अर अँधकार का बुरा कामा म सामिल मना होवो जंय्यां मिनख करै ह इकी बजाय बानै बाका बुरा कामा ताँई चेताओ।
पण जद सगळी चिजा उजाळा म आवै ह जणा बाकी असलियत सामनै आवै ह।