30 परमेसर की पबितर आत्मा को निरादर मना करो क्युं क छुडाबाळा दिन ताँई आ पबितर आत्मा थारै ताँई बिकी जामनी ह, की बो थानै छुड़ासी।
पबितर आत्मा की अणसुणी मना करो।
आ खेर सतफनुस बानै सुणाबा लाग्यो, “परमेसरनै कोनी मानबाळा अर बिका बचनानै नइ सुणबाळा ढिट मिनखो, थे सदाई थारा बाप-दादा की जंय्यां पबितर आत्मा को बिरोद करता आया हो।
आ सरस्टिई नइ पण आपा बी जानै पबितर आत्मा को पेलो फळ मिल्यो हो, मांय-मांय घुटता रिह्या हां। क्युं क आपा इ बातनै उडिकर्या हां क बो आपानै आपकी ओलाद की जंय्यां अपणावै अर काया को छुटकारो होज्यावै।
अर ज बो पबितर आत्मा जखो मसी ईसुनै मरेड़ा मऊँ जीवायो हो, थारै मांयनै बास करै ह जणा बो, जखो मसी ईसुनै मरेड़ा मऊँ ओज्यु जीवायो हो थारी नसबर कायानै आपकी पबितर आत्माऊँ जखी थारै मांयनै बास करै ह ओज्यु जीवासी।
ईसु झाळ्या म भर'र च्यारूमेर देख्यो अर बाका हियानै काठो देखर बो बोळो दुखी होयो। अर ईसु टुंडा मिनखनै बोल्यो, “तेरा हातनै सिदो करले।” अर बो आपका हातनै सिदो कर लिओ। अर बिको हात ओज्यु ठिक होगो।
इ बजेऊँई म बि पिडीऊँ नराज रिह्यो, अर म बाऊँ बोल्यो, ‘थारो हियो सदाई भटकतो रेह्सी, अर थे मेरा गेलानै कोनी पिछाण्यो।’
पण परमेसर थानै मसी ईसु म जोड़्यो अर मसीनै थारी बुदी बणायो। अर बिकै जरिएई आपा परमेसर की नजर्या म धरमी हां अर आपा परमेसर का पबितर मिनख बण्या अर अजाद कर्या गया।
अर के अ बेई मिनख कोनी हा जाऊँ परमेसर चाळिस बरसा ताँई नराज रिह्यो? के अ बेई मिनख कोनी हा जखा पाप कर्या अर जाकी लास उजाड़ म पड़ीरी?
जद अंय्यां होसी, मतबल जद नसबर कायानै नास नइ होबाळी काया म बदल्यो ज्यासी जणा पबितर सास्तर म मंडेड़ो आंक पूरो होसी, “मोतनै नास कर बिनै जीत लिओ गयो।”
थे जद अ सगळी बाता होबा लागै जणा बि टेम थे थारा सीरनै उपर उठाज्यो, क्युं क थारो छुटकारो सांकड़ैई होसी।”
जखो बी बिकी बातानै मानै ह, बो आ दिखावै ह क परमेसर सचो ह।
जणा थे सोचो बो कत्ती सजा भोगसी जखो आपका पगा तळै परमेसर का बेटानै चिथ्यो, अर बि नया करार का लोयनै जखो बिनै पबितर कर्यो हो सूगलो जाण्यो, अर दया करबाळी पबितर आत्मा को अनादर कर्यो।