ओ परम-पिताजी, म चाऊँ हूँ क बा सगळा म एको होवै, ठिक बंय्यांई जंय्यां म थारै म ओर थे मेर म हो। बे बी आपणा म एक होवीं जिऊँ क इ जगत का मिनख बिस्वास करै क थे मनै भेज्या हो।
अर म आ बातानैई नइ पण सगळी बातानै मेरा परबु मसी ईसुनै जाणबा की बडी बात क सामै घाटा की समजूँ हूँ। अर मसी ताँई म आनै कुड़ो-करकट जा'णर बगा दिओ जिऊँ म मसीनै पाऊँ
जणा इब मेरा लाडला बिस्वास्यो, म आपणा परबु ईसु मसी क नाम म था सगळाऊँ अरदास करूं हूँ। जोक्यु थे बोलो बिपै सगळा एक मत होवो, जिऊँ थारै मांयनै फूट ना होवै। अर थारा बिचार अर इंछ्या एकई होवै।