18 जिऊँ थे परमेसर का सगळा मिनखा क सागै इ बातनै समजबा की सक्ति पाओ क मसी को प्यार-परेम कत्तो लामो-चोड़ो, कत्तो डूँगो अर कत्तो उचो ह।
भाईला ताँई पिराण देबो सऊँ बडो परेम ह।
अर मसी का बि प्यार-परेमनै जाण सको जखो सगळी समजऊँ नाकै ह। अर थे परमेसर का सुभाव म भर्यापूरा होज्याओ।
अर इब म खुद जिंदो कोनी हूँ, पण मसी मेरै म जीवै ह। अर ज म काया म जिंदो हूँ तो बस बि बिस्वासऊँ जिंदो हूँ जखो परमेसर का बेटा प ह, जखो मेरूँ परेम कर्यो अर मेरै ताँई खुदनै दे दिओ।
इ ताँई, परबु ईसु प थारा बिस्वास अर परमेसर का मिनखा ताँई थारा प्यार-परेम क बारां म जदऊँ म सुण्यो बि टेमऊँ,
जखो जीतै ह, बिनै म मेरै दाया नाकै मेरा सिंघासन प बिठास्युं। जंय्यां म जित्यो अर मेरा परम-पिता क सागै बिका सिंघासन प बेठ्यो।
मसी आपणा सरापनै आपकै उपर लेर आपानै नेम-कायदा का सरापऊँ अजाद कर दिओ। क्युं क पबितर सास्तर म मंडेड़ो ह क, “जखो बी सुळी प लटकायो जासी बो सरापित ह।”
क सई टेम आबा प परमेसर इ मकसदनै पूरो करै, जिमै सगळी रचना जखी ईस्बर नगरी अर धरती प ह बानै एकसागै मसी म जखो सीर की जंय्यां ह भेळी करै।
क्युं क थे मसी ईसु प बिस्वास अर सगळा परमेसर का मिनखाऊँ प्यार-परेम राखो हो, आ बाता क बारां म म्हें सुण्या हां।
क्युं क बे परमेसर की धारमिक्ताऊँ अणजाण होर खुदकी धारमिक्तानै बणाबा म लाग्या रिह्या अर खुदनै परमेसर की धारमिक्ता म कोनी सूप्या।
कोई कोनी नट सकै क, भगती को भेद कंय्यां को म्हान ह, बो जखो मिनख जूण म परगट होयो, पबितर आत्मा जिनै धरमी बतायो, अर ईस्बर नगरी दुत जिनै देख्या, देस-देस म बिको परचार कर्यो गयो, जगत म बिपै बिस्वास कर्यो गयो, अर ईस्बर नगरी म उठा लिओ गयो।
सगळा परमेसर का मिनख थानै नमस्कार मांडी हीं।