21 बो मसी सगळी हेलीनै थाम राख्यो ह। अर मसी मई परमेसर सगळा बिस्वास्यानै मिलार पबितर आत्मा का बास ताँई एक पबितर मनदर बणार्यो ह।
परमेसर की सेवा म म्हें साती-संगी हां, अर थे परमेसर का खेत अर बिका भवन हो।
परमेसर का मनदर को मूरत्याऊँ काँई नातो? क्युं क आपा खुदई जीवता परमेसर का मनदर हां, जंय्यां बो खुदई खयो हो, “म बामै रेह्ऊँ हूँ, बामै चालू फिरूँ हूँ। म बाको परमेसर हूँ, बे मेरा मिनख हीं।
अर अंय्यांलको मिनख मसी म कोनी बण्यो रेह। मसी बिस्वासी मंडळी को सीर ह। मसी का बसऊँई सगळी काया रूपी बिस्वासी मंडळी पळै अर जोड़ अर नसाऊँ मिलर जंय्यां परमेसर चावै ह बंय्यांई बढती जावै।
पण ज मेरै आबा म मोड़ो होवै जणा इ चिठीऊँ जाण ज्याए क, आपणा परमेसर को कूणबो जखो जीवता परमेसर की बिस्वासी मंडळी आ सचाई की निम अर खम्बो ह, बिकै सागै आपानै कंय्यां को बरताव करबो चाए।