6 थारो बोल मिठो अर मननै चोखो लागबाळो होणो चाए जिऊँ थे जाणल्यो की कूणसा आदमीनै कंय्यां को जुबाब देणो चाए।
कोईबी बुरी बात थारै मुंडाऊँ नइ निकळै पण दुसरा को भलो करबाळी बाता बोलो जिऊँ सुणबाळा की जुर्ता पूरी होवै अर बाको भलो होवै।
पण मसीनै थारा हिया को मालिक मानो अर ज कोई थारूँ थारी आस क बारां म क्युं बुजै, जणा थे बिनै मान अर कदर क सागै जुबाब देबा ताँई सदाई त्यार रेह्ओ।
लुण चोखो ह पण लुण मऊँ सुवाद चल्योजा जणा बिनै कंय्यां चरचरो कर सकां हां? थे थारै म लुण जंय्यां को सुवाद राखो अर आपसरी म स्यांतीऊँ रिह्यो।”
सगळी बुदी क सागै एक दुसरानै सीखाओ अर चेताओ। अर थारा हियाऊँ परमेसर ताँई सगळा भजन अर आत्मिक गुणगान गाता रह्यो अर धनेवाद देतार्यो। अंय्यां कर मसी का बचनानै थारा हिया म पूरो-पूरो बसबा द्यो।
“थे धरती का सगळा मिनखा ताँई लुण हो; पण जद लुण मऊँ सुवाद चल्योजा जणा बिनै ओज्यु चरचरो कोनी बणायो जा सकै। अर नइ बो कोई काम आवै। पण बिनै फेक दिओ जावै ह, जिऊँ बो लोगा क पगा तळै मसळ्यो जावै ह।
सगळा बिकी वाह-वाई करर्या हा। अर बिका मुंडाऊँ निकळबाळा दयाऊँ भरेड़ा बचना प ताजूब करर्या हा। अर बोलर्या हा, “के ओ युसूफ को छोरो कोनी?”