“म एक कलिकीया का तरसुस म जलमेड़ो एक यहूदि मिनख हूँ। अर मेरी लिखाई पढाई अठैई इ यरूसलेम नगरी म गमलिएल धरम-गरूजी क कनैई होई ह। अर आपणा बाप-दादा का नेम-कायदा मनै सई ढंगऊँ सीखाया गया हीं। अर जंय्यां थे परमेसरनै मानबा ताँई कट्टर हो बंय्यांई म बी हूँ।
जणा पोलुस बोल्यो, “अजी म बो कोनी। म तो कलिकीया की मानेड़ी नगरी तरसुस को रेह्बाळो यहूदि मिनख हूँ। म थारूँ हात जो'ड़र खेऊँ हूँ की थे मनै मिनखाऊँ बात करबा को मोको द्यो।”
ईसु जुबाब म बोल्यो, “ज तू परमेसर का बरदाननै जाणती अर आबी क, ‘जखो तेरूँ पीबा ताँई पाणी माँगर्यो ह बो कूण ह, जणा तू बिऊँ माँगती अर बो तनै जीवन देबाळो पाणी देतो।’”