8 इ बजेऊँ नगरी का मिनख बोळा राजी होया।
अर बठिनै अंताकीया का बिस्वासी राजी होर्या हा अर बे पबितर आत्माऊँ भरता गया।
आ सुणर गैर-यहूदि मिनख बोळा राजी होया अर परबु का बचना की मेमा करबा लागगा। अर जत्ता बी अजर-अमर जीवन ताँई टाळेड़ा हा बे बिस्वास कर्या।
अर जंय्यांई बे पाणी क बारनै निकळ्याक परबु की पबितर आत्मा फलिपूसनै उठा लेगो अर बिकै पाछै बो हिंजड़ो बिनै कोनी देख्यो अर बो राजी-खुसी आपका गेलै चलेगो।
अर जद सामरी आर बिऊँ हात जोड़र बोल्या क बो बाकै सागै रेह्वै, जणा बो दो दिन ताँई बाकै सागै रिह्यो।