ज अरामहाळा दिन एक आदमी की सुन्नत करबा की बजेऊँ नेम-कायदा कोनी टूटै, जणा अराम हाळै दिन एक मिनखनै सागेड़ो निरोगो करबाऊँ, थे मेरै प झाळ्या क्याले काडर्या हो?
पण इकै बारां म मेर कनै कोई पुक्ता बात कोनी जखी म रोम का राजानै मांडर भेजूँ। जणाई तो म इनै थारै सामै अर खास कर म्हराज अगरीपा! थारै सामै ल्यायो हूँ जिऊँ इ पुछाताछी क पाछै मेर कनै मांडबा ताँई क्युं होवै।