11 ओ बोई ईसु ह जिकै बारां म सास्तरा म मंडर्यो ह की, ‘ओ बो भाठो ह, जिनै मिस्तरी ख्याई जोगो कोनी जाण्यो, पण बोई कूणा को भाठो होयो।’”
म्हारै प परमेसर की दया होई जिऊँ म्हानै आ सेवा मिली ह, जणा म्हें हिमत कोनी हारां।
म्हारै कनै आ मेमा भरी आस ह जणाई म्हें बेधड़क बोलर्या हां।
अंय्यां को कोई परमेसर की खेबाळो होयो हो के जिनै थारा बाप-दादा कोनी सताया हो? बे बा परमेसर की खेबाळानै मार गेर्या जखा बि परमेसर का धरमी दास क आबा को समचार पेल्याई दिआ करता हा। अर ठिक बंय्यांई थे बी बिनै धोकाऊँ पकड़ाबाळा अर मारबाळा होया।
ईसु बाऊँ बोल्यो, “सगळी बातानै सई करबा ताँई पक्कोई एलिआ पेल्या आसी। पण मिनख का बेटा क बारां म पबितर सास्तर म ओ क्युं मंडर्यो ह क बिनै बोळो दुख भोगणो पड़सी। अर लोग बिनै ठुकरासी?