4 भाळ सामै की ही, इ बजेऊँ बठैऊँ बे साईपरस का टापू की ओट म चाल पड़्या।
जणा बामै युसूफ नाम को लेवी हो जखो साईपरस को रेह्बाळो हो। जिनै भेजेड़ा चेला बरनाबास खेता हा, जिको मतबल हिमत देबाळो होवै ह।
म्हें बोळा दिना ताँई सफर कर बोळी मुसकीलाऊँ आखीर क कनिदुस नगरी क सांकड़ै पुग्या। अर भाळ म्हानै आगै कोनी चालबा देरी ही, जणा म्हें सलमोन क सामैऊँ होताहोया करेती का टापू की ओट म चाल्या।
कैसरियाऊँ बी क्युंक बिस्वासी म्हारै सागै होगा अर म्हानै साईपरस का मनासोन नाम का एक मिनख क घरा ल्याया जखो सरूपोत का बिस्वास्या मऊँ एक हो अर म्हें बठैई रूक्या।
म्हानै साईपरस टापू दिख्यो जणा म्हें बिकै दिखणाद म जार सिरीया जाबाळो गेलो पकड़ लिओ अर सूर नगरी म रूक्या क्युं क बठै झाजऊँ माळ उतारनो हो।
बि बातऊँ बाकै बिच अंय्यां की खिचा-ताणी होई क बे एक दुसराऊँ नाकै-नाकै होगा अर बरनाबास मरकुसनै लेर साईपरस चलेगो।
पबितर आत्मा क कह्या गेल बरनाबास अर साऊल सिलूकीया गया जठैऊँ झाज म बेठर साईपरस नाम का टापू प पुग्या।
अर ईसु देख्यो क चेला न्याव चलाता-चलाता सांस फुलगा हीं। क्युं क सामै की भाळ चालरी ही ईसु भागपाट्या दरिआव प चालतो होयो बाकन आयो अर बो बाऊँ अगाऊ जाबो चावै हो।
अर बाका चेला न्याव म बेठर किनाराऊँ कोसा दूर चलेग्या अर न्याव लेहराऊँ झोला खाबा लागी। क्युं क सामै की भाळ ही।
एक दिन ईसु आपका चेला क सागै न्याव म चढगो अर बानै खयो, “आओ आपा झिल क परलै-पार चालां।” जणा चेला ह जखा न्याव हांक दिनी।