21 बोळा दिना ताँई जद बे निरहार हा, जणा पोलुस बामै खड़्यो होर बोल्यो, “ज थे करेतऊँ नइ चालबा को मेरो खयो मान्यो होतो जणा आज इ बिनास अर इ हाणीऊँ बच ज्याता।
म्हें बोळा दिना ताँई सफर कर बोळी मुसकीलाऊँ आखीर क कनिदुस नगरी क सांकड़ै पुग्या। अर भाळ म्हानै आगै कोनी चालबा देरी ही, जणा म्हें सलमोन क सामैऊँ होताहोया करेती का टापू की ओट म चाल्या।
ओ बंदरगा स्याळा ताँई चोखो कोनी हो इ ताँई घणकराक ओई बिचार कर्यो क हो सकै तो कंय्यां जंय्यां फिनिक्स पुगर स्याळा-स्याळा बठैई रेह्वां। ओ करेती को अंय्यां को बंदरगा हो जिको मुंडो दिखणाद-पाछुणै अर उतराद-पाछुणै म खुलतो हो।
अर जद दिखणादि भाळ होळ्या-होळ्या चालबा लागी। जणा बे सोच्या जंय्यां बे चावा हा बंय्यांई होर्यो ह। जणा बे लंगर उठार करेती का किनारै-किनारै झाजनै आगै बढाबा लाग्या।
अर जद बोळा दिना ताँई नइ तो सूरज दिख्यो अर नइ तारा अर उपरऊँ तौफान तगड़ा थपेड़ा मारर्यो हो, जणा म्हें बचबा की सगळी आस छोड दि।