11 बि रात परबु बिनै दरसाव देर बोल्यो, “हिमत बांद अर जंय्यां तू मेरै बारां म अठै गुवाई दि ह, ठिक बंय्यांई तनै रोम म बी देणी पड़सी।”
आ बाता क पाछै पोलुस पबितर आत्माऊँ मकीदुनिया अर अखायाऊँ होर यरूसलेम जाबा की सोची अर बोल्यो क, “बठै जाबा क पाछै मनै रोम बी जाणो ह।”
अर एक रात परबु पोलुसनै दरसाव देर कह्या, “तू डरै मना बोलतोई रेह चुप मना होवै
पण परबु मेरै सागै खड़्यो रिह्यो अर मनै ताकत दिओ, जणाई तो म सगळा गैर-यहूदिआनै सुणाबा ताँई चोखा समचार को खूब हेलो पाड़ सक्यो अर म मोत की सजाऊँ बचायो गयो।
ईसु तावळोसो बाऊँ बोल्यो, “हिमत राखो म हूँ! थे मना डरो।”
इ बजेऊँ सगळा रोमी म्हेला का पेरादारानै अर दुसरा मिनखानै इ बात को बेरो पड़गो की म मसी को सेवक हूँ इ ताँई म केद म हूँ।
जणा लोग एक भाळ भेयड़ा मिनखनै खाटली म घालर बाकन ल्याया। ईसु बाका बिस्वासनै देखर बि हवा भेयड़ा मिनखनै ओडायो, “हिमत राख, तेरा पाप धुपगा!”
अर मनै परबु जी दरसाव देर कह्या, ‘तावळोसो यरूसलेमऊँ चल्योजा क्युं क अठै का मिनख मेरा बारां म तेरी गुवाईनै कोनी मानी।’
अर इब म पबितर आत्मा क कह्या गेल यरूसलेम जार्यो हूँ अर मनै कोनी बेरो क बठै मेर म काँई-काँई बितसी।
बि ताँई दाऊद खेवै ह: “‘म सदाई परबुनै मेरै सामै देखूँ हूँ। क्युं क बो मेरै सागै ह। इ ताँई म कोनी डिगुं।
“म अ बाता थारूँ इ ताँई बोल्यो क थानै स्यांती मिलै। जगत म तो थानै दुखई मिल्यो ह पण हिमत राखो म जगतनै जीत लिओ हूँ।”
म थानै अनाथ की जंय्यां एकलो कोनी छोडूँ। म थारै कनै पाछो आस्युं।
म थानै जखो हुकम दिओ हूँ बे सगळी बाता बानै मानबो सीखाओ। अर याद राखज्यो इ दुनिया की अंत घड़ी ताँई सदाई म थारै सागै रेहस्युं।”
क्युं क मेरै पाच भाईड़ा ओर हीं ओ जार बानै चेतासी कमऊँ कम बे, इ पिड़ा हाळी झघा म आबाऊँ बच ज्यासी।’
क्युं क तू मिनखा क आगै बा बाता की गुवाई देसी जानै तू सुणी अर देखी।
के म अजाद कोनी हूँ? अर म भेजेड़ो चेलो कोनी के? के मनै आपणा परबु ईसु को दरसाव कोनी होयो? अर के थे बी परबु म मेरै काम की बजेऊँ कोनी हो?