2 अत्ती बारां मई आसमानऊँ आँधी की सी उवाज होई अर बो सगळो घर जठै बे बेठ्या हा गुँजबा लागगो।
बाकै अरदास करताई बा झघा जठै बे भेळा होर्या हा हालबा लागगी अर बे सगळा पबितर आत्माऊँ भरगा अर हिमत क सागै परमेसर का बचनानै बोलबा लागगा।
भाळ जठै चावै बठै भेवै ह, जिकी उवाज थे सुणो हो, पण थे आ कोनी जाणो क बा कठैऊँ आवै अर कठै जावै ह। पबितर आत्माऊँ जलम लेबाळो हरेक मिनख इकी जंय्यांई ह।”
अत्ता मई बठै ईस्बर नगरी दुत क सागै ईस्बर नगरी दुता की भीड़ की भीड़ परगट होई अर अंय्यां बोलर परमेसर को गुणगान करबा लागी
अर बानै आग की लपटा जीब की जंय्यां फेलती दिखी, अर बे लपटा एक-एक प आर डटगी।
जद बे बा उवाज सुण्या जणा बठै घणीसारी भीड़ भेळी होगी अर बे आ सुणर ताजूब म पड़ग्या क अ सगळा तो म्हारीई भासा म बोलर्या ह।
पण बानै ओबी बतायो गयो क, बे खुदकी नइ पण थारी सेवा ताँई अ बाता बोल्या हीं। बे थारै ताँई ईस्बर नगरीऊँ आईड़ी पबितर आत्मा की सक्तिऊँ चोखा समचार को हेलो पाड़्या। जदकी आ बातानै जाणबा ताँई ईस्बर नगरी दुत बी तरसीं हीं, पण इकै वावजुद बी अ बाता बस थारै ताँई परचार करी गई।