13 बिकै कुआड़ खुड़काबा प रूदे नाम की एक दासी बारना प आई।
अर बठिनै पतरस कुआड़ खुड़कातो रिह्यो जणा बे कुआड़ खोल्या अर बिनै सामै देखर सुन्ना होगा।
जद घर को मालिक खड़्यो होर बारनो ढक लेसी, अर जणा थे बारनै खड़्या होर कुआड़ खुड़कास्यो अर गिड़गिड़ास्यो, ‘म्हराज, म्हारै ताँई कुआड़ खोल द्यो।’ पण बो थानै खेसी, ‘मनै कोनी बेरो थे कूण हो अर कठैऊँ आया हो।’
अर बो बारली गुवाड़ी का बारना कनै चलेगो जणा एक ओर दासी बिनै देखर बठै खड़्या मिनखानै बोली, “ओ मिनख ईसु नासरी क सागै हो।”