7 अर इकै पाछै मेरै काना म एक उवाज पड़ी, ‘पतरस खड़्यो हो आनै मार'र खाले।’
अर म काँई देख्यो क बिमै धरती का च्यार टांगा का ज्यानबर, रिंगबाळा अर आसमान म उडबाळा पंछी हा।
पण म खयो, ‘नइ परबु कदैई नइ क्युं क म हाल ताँई कोईबी सूगली अर बरजेड़ी चिज कोनी खाई।’
क्युं क परमेसर को सिरजेड़ो सक्यु चोखो ह क्युं बी बगाबा जोगो कोनी, पण धनेवाद कर सक्यु खायो जा सकै ह,