21 परबु को हात बा प हो, जिकी बजेऊँ घणासारा मिनख बिस्वास कर ईसु क कानि मुड़्या।
अर परमेसर को गुणगान गाता। बे सगळा इ दान दयाऊँ राजी हा। अर जखो बी परमेसर क जरिए छुटकारो पातो, परमेसर बिनै रोजकी बाकी टोळी म जोड़ देतो।
अर जत्ता बी बठै हा बाकै रेह-रेह ओई बिचार होवै हो क, “ओ टाबरियो ह जखो काँई बणसी?” इको कारण ओ ह क इकै सीर प परबु को हात ह।
क्युं क ओ चोखो समचार थारै कनै बोली रूप मई कोनी पुग्यो पण सक्ति, पबितर आत्मा अर इकै सच की पुक्ताई क सागै पुग्यो ह। जंय्यां थे जाणोई हो क, म्हें थारा भला ताँई थारै मांयनै कंय्यां जिया।
अर बिनै देखर लुद्दा अर सरोन नगरी का रेह्बाळा परबु प बिस्वास कर्या।
बो पबितर आत्मा अर बिस्वासऊँ भरेड़ो एक भलो मिनख हो। इकै पाछै ओर बोळा मिनख परमेसर प बिस्वास कर्या।
अंय्यां यरूसलेम म परमेसर को बचन दिन-दिन फेलतो गयो। अर परमेसरनै मानबाळा की गिणती दिन-दिन बढती गई, अर घणकराक याजक बी ईसु प बिस्वास करबा लाग्या।
अर बठिनै परबु प बिस्वास करबाळा लूगाई अर मिनख रोजकी बाकी टोळी म मिलता जार्या हा।
पण जत्ता बाकी सुण्या हा बामै बोळाजणा बिस्वास कर्यो जिऊँ बाकी गिणती बढर करीब पाच झार होगी।
याकूब ओर खयो, जणा इब मेरो फेसलो ओ ह क गैर-यहूदि मिनखा मऊँ जखा परमेसर क कनै आया हीं, बानै आपा दिन नइ घालां।