44 पतरस बोलर्योई हो, अत्ती बारां मई बा सगळा सुणबाळा प पबितर आत्मा उतर्यो।
अर जद म परमेसर का बचन बानै सुणाबा लाग्यो, जणा ठिक बंय्यांई बापै पबितर आत्मा उतर्यो जंय्यां सरूआत म आपणा प उतर्यो हो।
अर जद पोलुस बापै हात धर्यो जणा बापै पबितर आत्मा उतर्यो। बे भात-भात की बोली बोलबा लागगा अर परमेसर का चोखा समचार को हेलो पाड़बा लागगा।
अर हियानै जाणबाळो परमेसर आपणी जंय्यां बानै बी पबितर आत्मा देर अपणायो।
बाकै अरदास करताई बा झघा जठै बे भेळा होर्या हा हालबा लागगी अर बे सगळा पबितर आत्माऊँ भरगा अर हिमत क सागै परमेसर का बचनानै बोलबा लागगा।
“आ सगळानै आपणी जंय्यांई पबितर आत्मा मिली ह, जणा इब कोई आनै पाणी को बतिस्मो लेबाऊँ मना कर सकै ह के?”