6 मेनत करबाळा किसाननै सऊँ पेली धरती को फळ मिलणो चाए।
अर थानै चाए क थे मजबूत होवो जिऊँ क जद थे परमेसर की इंछ्यानै पूरी करो जणा जिको बादो बो कर्यो ह बो थे पा सको।
अर म ओ सक्यु चोखा समचार ताँई करूं हूँ क म दुसरा मिनखा क सागै इमै बाको साती-संगी बण सकूँ।
अर बो बानै बोल्यो, “लावणी आएड़ा खेत तो बोळा हीं पण ध्यानग्या थोड़ा हीं। इ ताँई थे खेत का धणी परमेसरऊँ अरदास करो जिऊँ बे लावणी करबा ताँई ध्यानग्यानै भेजै।
“ईस्बर नगरी को राज एक जमीदार की जंय्यां ह। बो एक दिन सुआरै उठर आपका अँगूरा का बाग म काम कराबा ताँई मजुरियानै ढुंढबा निकळ्यो।
जोक्यु म बोलुँ हूँ बिपै गोर धर, क्युं क परबु तनै सगळी बातानै समजबा की बुदी देसी।
क्युंक झाड़्या अर काटा उगाबाळी जमीन बेकार अर परमेसर कानिऊँ सरापित ह अर आखरी म आगऊँ जळाई जावै ह। पण उपळी जमीन प मी को पाणी बार-बार बरसै ह अर जमीन बि पाणीनै पीर किसान ताँई चोखी फसल उगावै ह अर बिनै परमेसर को आसिरबाद मिलै।
अर जिनै पाच थेली मिली ही बो बाऊँ पाच ओर कमाली।