मेरो थानै चिठी मांडबा को मकसद ओ बताबो कोनी हो क कूण गळती करी ही नहिस किकै खिलाप करी। पण ओ हो क परमेसर क सामै खुद देख सको क थे म्हारै बेई कत्ताक बफादार हो।
थारै बारां म अंय्यां सोचबो मेर ताँई सई ह, क्युं क थे मेरा काळज्या म बसर्या हो। बि सोभाग म थे सगळा पाँतीवाळ हो जखो परमेसर मनै दिओ, चाएस म जद अब जेळ म हूँ अर नहिस जद म अजादिऊँ चोखा समचार क सच को सबूत देर बिनै पुक्ता करबा म लागर्यो हो।