16 अर म राजी हूँ क सगळी बाता म, म थार प बिस्वास कर सकूँ हूँ।
जणाई तो म थानै गेलड़ी चिठी म मांड्यो हो क जद म थारै कनै आऊँ जणा थारूँ जखा मनै सुक देवै ह बाऊँ दुखी नइ होऊँ। क्युं क मनै थारै उपर भरोसो ह क मेरी खुसी मई थारी खुसी ह।
तेर प मनै भरोसो ह जणाई म तनै मांडूँ हूँ, क्युं क म जाणू हूँ क, तू जखो म तेरूँ चाऊँ हूँ बिऊँ बढर करसी।
मसी म मनै ओ हक क, म जखो सई ह बिनै करबा ताँई ओडाऊँ।
परबु म म्हानै थार प पक्को बिस्वास ह क म्हें थानै जंय्यां करबा ताँई आदेस दिन्यो हो थे बंय्यांई करर्या हो अर करता रेहस्यो।
तू आ मानै ह क तू आँदा की आँख ह अर जखा अँधेरा म भटकर्या हीं बा ताँई च्यानणो ह,