साचली तो आ ह क आपा सगळा बी बाकी जंय्यांई पेल्या बुरी इंछ्या गेल दिन काटर्या हा जखी काया अर मन की इंछ्या होती बिनैई करर्या हा। अर आ सगळा की जंय्यांई आपा बी परमेसर का परकोपनै भोगबा जोगा हा।
थे परमेसर का पेलीपोत की बिस्वासी मंडळी कनै आग्या हो जाका ईस्बर नगरी म नाम दरज हीं। थे बि परमेसर क कनै आग्या हो जखो सगळा को न्याय करै ह। अर धरम्या की आत्मा कनै आग्या हो जखा सिद बणग्या हीं,
जणा अंय्यां सगळा यहूदिआ, गलिल, अर सामरीया की बिस्वासी मंडळ्यानै स्यांती मिली। अर बिस्वास्या की बिस्वासी मंडळी मजबूत होती गई अर परमेसर का गुणगान करती गई। अर पबितर आत्मा का हियावऊँ गिणती म बढती गई अर परमेसर का डर म रेह्ती।