अर आज म जोक्यु बी हूँ परमेसर की दयाऊँ हूँ, अर बिकी दया मेर ताँई बेकार कोनी गई म दुसरा भेजेड़ा चेलाऊँ बढचढ'र मेनत करी ह। पण आ मेरी काबलीयत कोनी आ तो परमेसर की दया ह।
थे मोट्यार लूगाई एक दुसरा की इंछ्या मना मारज्यो। पण आपसरी म बतळार क्युंक देर ताँई इनै टाळ सको हो जिऊँ थारै अरदास करबा म दिकत नइ होवै, अर इकै पाछै थे ओज्यु एक सागै रह्यो; क्युं क कदै अंय्यां नइ हो क खुदनै बस म राखबा की कमी को फाईदो उठार सेतान थानै बिचासै।
पोलुस बोल्यो, “के थोड़ो टेम, के बोळो, पण म तो परमेसरऊँ आई अरदास करूं हूँ क थे अर जत्ता बी मनै आज अठै सुणी हीं बे जि साँकळाऊँ म बंदर्यो हूँ आनै छोडर बाकी बाता म मेरै जंय्यां का होज्यावै।”
अर म यरूसलेम म अंय्यांई कर्यो हो। अर परधान याजकाऊँ अधिकार लेर परमेसर का मिनखानै जेळ म गेर्यो हो अर जद बानै मार गेर्यो जातो हो जणा म बी बाकै खिलाप मेरी हामी देतो हो।