9 इ ताँई म्हारा हिया की इंछ्या तो आ ह क चाए धरती प रेह्वां चाए ईस्बर नगरी म रेह्वां पण परमेसरनै भाता रेह्वां।
जिऊँ थे परबु जंय्यां चावै ह बंय्यां जी सको अर हर बाता म सदाई परबु मसीनै राजी राख सको। थारै जीवन म भला कामा का फळ लागै अर थे परमेसर का ज्ञान म दिन-दिन बढता रह्यो।
जखो इ तरिकाऊँ मसी की सेवा करै ह, बिऊँ परमेसर राजी रेह्वै ह। अर मिनख बिकी ईज्जत करै ह।
ओ लाडलो, थे आ बाता की आस देखो हो, जणा कोसिस करो क परमेसर की नजर्या म खरा, बेदाग अर स्यांतीऊँ रेह्बाळा बाजो।
आपा इ ताँई मेनत अर कोसिस करां हां, क्युं क आपणी आस जीवता परमेसर म ह। जखो सगळानै, खासकर बिस्वास्यानै बचाबाळो ह।
थानै ध्यान रेह्वै, थे दुसरा क सागै मेळमिलापऊँ रेह्वो। थारो ध्यान थारा काम मई रेह्वै, अर खुद कमार खाओ बंय्यांई करो जंय्यां म्हें थानै आदेस दिआ हां,
मेरा लाडला बिस्वास्यो, म्हें थारूँ ईसु मसी का नामऊँ आ अरदास करां अर थानै समजावां हां क जंय्यां थे म्हारूँ परमेसरनै राजी करबाळो जीवन जिबो सीख्यो, अर बंय्यांई जीओ बी हो। जणा म्हें चावां हां क, थे बिमै ओर बी बेत्ती बढता जाओ।
इ ताँई मेरा लाडला बिस्वास्यो, बिस्वास म मजबूत बण्या रेह्ओ अर जमाई संका मना करो। अर परबु का काम म खुदनै लगाया राखो। क्युं क थे जाणो हो क परबु ताँई करेड़ो काम बेकार कोनी जावै।
मेरी सदाई आ मनस्या ह क म बठै चोखा समचार को हेलो पाड़ूँ जठै कोई मसी को नामई कोनी जाणै, इकी आ बजे ह क म कोई दुसरा मिनख की धरेड़ी निम प चिणाई नइ करूं।
ज आपा जीवां हां बो परबु ताँई अर ज मरा हां जणा बो बी परबु ताँई। जणा चाए आपा जीवां नहिस मरा, आपा परबु का हां।
बो धरती का सगळा मिनखानै अपणावै जखा बिको डर मानै अर नेक काम करै चाए बो कोईबी हो।
इ ताँई आपानै अंय्यां को राज मिलबाळो ह जिनै हलायो कोनी जा सकै, जणा आओ आपा परमेसर को डर मानर बाको मान करता होया बिनै राजी करबाळी भगती क सागै बिको धनेवाद करां।
जणा आओ आपा बि अराम हाळी झघा म बड़बा ताँई पूरी कोसिस करां, क्युं क कदै अंय्यां नइ होवै क आपणा बा बडका की जंय्यां परमेसर का हुकमानै नइ मानबा की बजेऊँ बि अराम हाळी झघा म जाबाऊँ चूक ज्यावां।
इ ताँई तो म, मेर म दम क सागै काम करबाळी बिकी सक्तिऊँ कड़ी मेनत करर्यो हूँ।
जणा आपानै हिमत राखबो चाए क्युं क खुदकी कायानै छोडर परबु क सागै बिका घर म रेह्बो चोखो ह।
इ ताँई आपानै सदाई हिमत राखबो चाए क्युं क आपा जाणा हां क जद ताँई इ काया म हां, जणा बि झघाऊँ दूर हा जठै आपा परबु क सागै रेहस्यां।
रोट्या ताँई मेनत मना करो क्युं क बे तो बुसज्यावै, पण अजर-अमर जीवन देबाळी रोटी ताँई मेनत करो। आ बा रोटी ह जखी मिनख को बेटो थानै देसी, क्युं क परम-पिता परमेसर बिनै ओ अधिकार दिओ ह।”
परमेसर की मेमाभरी दया ताँई बिकी जे-जैकार होवै, जखी बिका लाडला बेटा म आपानै सितमित म मिली ह!