2 इ काया म आपा टसकता रेह्वां हां, अर नया गाबा की जंय्यां ईस्बर नगरी की कायानै पेरबा ताँई तड़पां हां।
आ सरस्टिई नइ पण आपा बी जानै पबितर आत्मा को पेलो फळ मिल्यो हो, मांय-मांय घुटता रिह्या हां। क्युं क आपा इ बातनै उडिकर्या हां क बो आपानै आपकी ओलाद की जंय्यां अपणावै अर काया को छुटकारो होज्यावै।
म आ दो मता म अळजर्यो हूँ। इ कायानै छोडर मसी क सागै रेह्बो तो म बोळो चाऊँ हूँ क्युं क ओ मेर ताँई घणोई चोखो ह;
म एक अभागो मिनख हूँ। मनै इ नसबर कायाऊँ कूण छुटासी जिमै मोत आवै ह।
थे गोर लगार सुणो, म थानै एक भेद की बात बताऊँ हूँ: आपा सगळा मरा कोनी, पण आपणो रूप बदल्यो ज्यासी।