“ईस्बर नगरी को राज खेत म गाडेड़ा धन की जंय्यां ह। ओ एक मिनखनै लाध्यो पण बो बिनै ओज्यु बठैई लुखा दिओ। अर बो राजी होर जोक्यु बी बिकन हो बो बिनै बेचर बि खेतनै मोल ले लिओ।
अर जद थे बतिस्मो लिआ जणा मसी क सागै गाड्या गया हा अर परमेसर की काम करबाळी सक्ति प थारा बिस्वासऊँ ओज्यु मसी क सागै जीवाया गया हा। जि मसीनै परमेसर मरेड़ा मऊँ ओज्यु जीवायो हो।
अर परमेसर का हुकमानै नइ मानबा की बजेऊँ आपा तो आत्मा म मरेड़ा हा। पण मसी क जीबा की बजेऊँ बो आपानै पाप भर्या जीवनऊँ बचार आत्मा म जीवायो। आ परमेसर की दयाई ह जिकी बजेऊँ आपा बचगा।
बो कमजोरी म हो जणा बो सुळी प मर्यो, पण बो परमेसर की सक्तिऊँ जिंदो ह। अर म्हें बी बिमै तो कमजोर हां पण परमेसर की सक्ति की बजेऊँ बिकै सागै जीवां हां जिऊँ थानै सुदार सकां।