11 ईसु की बजेऊँई म्हें जखा जीवता हां मोत क हाता म सूप्या जावां जिऊँ ईसु को जीवन नास होबाळी काया म खुला रूपऊँ सामै आवै।
अर जंय्यां आपा माटीऊँ सरजेड़ा मिनख आदम कोसो रूप धारण करां हां, बंय्यांई आपा ईस्बर नगरीऊँ आएड़ा मसी की जंय्यां रूप बी धारण करस्यां।
जंय्यां क पबितर सास्तर म मंडेड़ो ह: “क्युं क तेरी बजेऊँ म्हानै हर टेम मोत को मुंडो देखणो पड़ै; म्हें कटबाळी लल्डी समज्या जावां हां।”
आपा इ काया म होतासोता बोज क तळै दबर तड़पर्या हां, इकी बजे आ ह क आपा खुदकी कायानै बदलबो कोनी चावां पण इ काया म ईस्बर नगरी को जीवन जिबो चावां हां, जिऊँ मरबाळो जीवन अजर-अमर जीवन होज्यावै।
मेरा बिस्वासी भाईड़ो, मसी ईसु क सागै थारा रिस्ता की बजेऊँ म थार प गुमान करूं हूँ आ बात जत्ती सच ह बत्तिई आ बी सच ह क म रोजकी मेरी ज्यान को खतरो उठाऊँ हूँ।
अर ज बो पबितर आत्मा जखो मसी ईसुनै मरेड़ा मऊँ जीवायो हो, थारै मांयनै बास करै ह जणा बो, जखो मसी ईसुनै मरेड़ा मऊँ ओज्यु जीवायो हो थारी नसबर कायानै आपकी पबितर आत्माऊँ जखी थारै मांयनै बास करै ह ओज्यु जीवासी।
क्युं क म्हें सदाई इ बातनै ध्यान म राखां हां क ईसुनै मिनख मार्या। जणा बिका समचार को हेलो पाड़बा ताँई जद म्हें हांडा हां जणा मिनख म्हानै बी मार सकीं हीं इकै पाछै बी म्हें डरां कोनी पण मरबानै त्यार हां। जिऊँ क ईसु को जीवन बी म्हारी काया म खुला रूप म दिखै।
इ बजेऊँई म्हें मोत की छांया म जीवां हां जिऊँ थे अजर-अमर जीवन म बड़ सको।
म्हानै सूल जाणता बुजता बी मिनख म्हारी अनदेखी करीं हीं। म्हें मोत की छांया म हां पण हाल जीवां हां। म्हानै मार्या तो सई पण ज्यानऊँ कोनी मार्या।