अर आज म जोक्यु बी हूँ परमेसर की दयाऊँ हूँ, अर बिकी दया मेर ताँई बेकार कोनी गई म दुसरा भेजेड़ा चेलाऊँ बढचढ'र मेनत करी ह। पण आ मेरी काबलीयत कोनी आ तो परमेसर की दया ह।
क्युं क जखा मोत का गेला प नास होबा ताँई जार्या हीं बा ताँई मोत की बास हां। अर जखा छुटकारा का गेला प जार्या हीं बा ताँई जीवन की सुगंद हां। पण आ बाता क जोगो कूण ह?